जब नॉर्वे में खेली गई "शतरंज चैंपियनशिप 2025" में डी. गुकेश ने विश्व के नंबर वन मैग्नस कार्लसन को हराया। तब शायद मैग्नस कार्लसन अपनी हार को पचा नहीं पाए और उन्होंने पूरी ताकत से बोर्ड पर मुक्का मारा।
यह देखकर सभी हैरान रह गए थे।
शायद मैग्नस कार्लसन को आज इस हार की उम्मीद नहीं थी। लेकिन ऐसा हुआ।
लेकिन गुकेश शांत थे, वे हैरान दिख रहे थे, लेकिन अंदर से खुश थे।
और हो भी क्यों न, आज भी हमें याद है कि विश्व चैंपियन बनने के बाद जब गुकेश को बधाई दी गई और पूछा गया कि "क्या अब वे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं ?
तो गुकेश ने कहा कि "ऐसा नहीं है, हो सकता है कि वे आज जीते हों लेकिन नंबर वन खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन हैं"।
आज जब गुकेश ने मैग्नस कार्लसन को हराया तो उनके चेहरे पर वो खुशी साफ झलक रही थी।
जो विश्व चैंपियन बनने के बाद भी उनके चेहरे पर नहीं थी। उन्होंने दिखाया कि लोग उन्हें "सबसे कमज़ोर विश्व चैंपियन" कह रहे थे, जो सच नहीं है।
लेकिन बाद में जो हुआ उसके बाद गुकेश के प्रति सम्मान और भी बढ़ गया।
वे शांत भाव से बोर्ड की ओर आए, मैग्नस कार्लसन के मुक्का मारने के बाद बिखरी शतरंज की बिसात को समेटा, अपने खिलाड़ियों को जगह दी, बोर्ड को प्रणाम किया और वहाँ से चले गए।
यह सादगी शतरंज के लोगों में गुकेश के प्रति सम्मान को दर्शाती है। खेल में जो संतुलन था, वह जीतने के बाद भी वैसा ही था। गुकेश ने दिखाया कि चाहे आप जीतें या हारें, आपको खेल का सम्मान करना चाहिए।
मुझे वह पल याद है जब एक क्रिकेट खिलाड़ी ने मैच हारने के बाद अपना बल्ला फेंक दिया था। तब क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले श्री सचिन तेंदुलकर ने उनसे कहा था कि "यह नहीं दिखाता कि आप कितने निराश हैं, बल्कि यह दिखाता है कि आप खेल का कितना सम्मान करते हैं।"
आज गुकेश ने साबित कर दिया है कि वह खुद से ज़्यादा खेल का सम्मान करते हैं।
गुकेश आपको बहुत-बहुत बधाई।
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