PRIME VIDEO के "पंचायत" ("PANCHAYAT" WEB SERIES") को कोण नहीं जानता ,
इस सीरीज ने लोगो के दिल में जगह बनाई है। न सिर्फ कहानी बल्कि एक एक किरदार दमदार है।
चाहे वो सचिवजी हो,प्रधानजी हो,या भूषण हो.
आज हम मिलेंगे उस किरदार से जो मुख्या किरदार तो नहीं पर उसके बीना पंचायत नहीं।
"प्रल्हाद"/प्रल्हाद भाई /प्रल्हाद चा " ऐसे कई नाम है इस किरदार के।
गांव के उप प्रधान है। प्रधान जी की तो छाया है। एक अच्छे इंसान है। अच्छे मित्र है। अच्छे बाप है। कुल मिला के बड़ा ही विशेष किरदार है इनका।
दही शक्कर खाते है ना सब, पर टेस्ट के लिए थोड़ा नमक भी मिलाया जाता है ना वो नमक है "प्रल्हाद"
वो जो दोस्त नहीं होता जो कहता है "चल भाई , देख लेंगे, जो होगा वो" वो दोस्त है "प्रल्हाद"
हस्ता, खेलता प्रल्हाद सचिवजी के प्रधानजी के साथ किसी भी परिस्थिति में खड़ा है। गांव सहायक विकास से तो उनका नाता देखते बनता है।
सीरीज के तीसरे पार्ट में प्रल्हाद एक अलग व्यक्तित्व में तब्दील हो जाता है। एक ऐसा व्यक्ति जिसका बेटा शहीद हो गया है। परिवार के नाम पर एक बेटा था वो भी इस दुनिया में नहीं। सरकार ने बड़ी धनराशि दी। पर बेटा नहीं है।
प्रल्हाद का दर्द उसके आखो में दीखता है।
जब सचिव जी का अचानक ट्रांसफर होता है। जो सबको नामंजूर होता है तब प्रल्हाद DM MADAM को कहता है "के कुछ भी हो जाये , कोई वक्त से पहले नहीं जायेगा " बेटे के समय से पहले जाने के दर्द ने शायद इन शब्दों को जन्म दिया।
जब गांव की एक बुजुर्ग महिला घर आवास योजना में घर मिलने के लिए ये जताती है के वो अपने बेटेसे दूर रहती है तो प्रल्हाद उसे कहता है
"हमारी तो मजबूरी है , आपके पास पूरा परिवार है " और रोते हुए कहता " सोना देके पत्थर खरीदता है क्या कोई अम्मा"
पर हम सब के दिल का बोझ तब उतर जाता है जब विधायक के आने के साथ शांति समझोता की प्लानिंग करते वक्त सचिवजी प्रधानजी और विकास के साथ प्रल्हाद अचानक से खूब हसता है।
उस सीरीज का वो सबसे खूबसूरत पल था।
जरूर देखे पंचायत (ALL SEASON)
पंचायत (WEB SERIES "PANCHAYAT") - प्रल्हाद (उपप्रधान )